नही रहे भारत के मिसाईल मैन


आज डॉ एपीजे अब्दुल कलाम  हमारे बीच नही हैं पर उनकी यादें सदा ही हमारे ह्रदय में बनी  रहेगी।  हम अपने ब्लॉग की तरफ से उन्हें भाव भीनी श्रद्धांजलि देते हैं आईये सर्वप्रथम उनकी जीवनी के बारे में जानते हैं जो की मैंने विकिपीडिआ से उधार लिया है।


अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम अथवा डॉक्टर ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (15 अक्टूबर 1931 - 27 जुलाई 2015) जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात थे।

इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा।

इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई।

कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये।

कवि पीयुष पराशर ने इन्हे अपने शब्दों से भावभीनी श्रद्धांजलि दी …


अचानक से पूर्व राष्ट्रपति का चला जाना अचंभित कर रहा है पर सत्य तो सत्य है। उनके लिए श्रद्धांजलि देना मेरे वश से बाहर है पर चंद पंक्तियों से इस महानायक को विदा देता हूँ। अलविदा कलाम साहब..

छोड़ कर हमको चले पर दिल से ना जा पाओगे,
हे कर्मयोगी इतना बता दो फिर कहाँ कब आओगे।

खोजती फिरती ये अंखिया हर घड़ी ब्रम्हांड में,
किस जगह बन कर सितारा आज टिमटिमाओगे।

है नमन करती धरा विज्ञान के इस पूत को,
जब भी छूटेगी मिसाइल याद कितने आओगे।

जा रहे हो सच में या ये भी कोई अनुसन्धान है
क्या वहां से खोज कर दुनिया नई तुम लाओगे।

जन्म लेना हो अगर आना पुनः भारत
धरा पर,
अपनी ही बोई फसल को लहलहाता पाओगे।
~~पीयूष पराशर~~~

मेरी तरफ से भावभीनी श्रद्धांजलि




पीयुष  पराशर
ग्राम+पोस्ट- करहिया
 जिला -ग़ाज़ीपुर
उत्तर प्रदेश
7309273032

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