भोजपुरी कहानी : अब एह जन्म में भेंट ना होई

 अब एह जनम में भेंट ना होई

वैसे त माया आ उनकर मरद दिनेश हर साल गांवे जांस जा बाकिर कोरोना के चक्कर में तीन साल से गइल ना रहलन जा | एक त शहर में बसला के बाद असही टाइम ना मिले ऊपर से बुढ़ापा के देंह लम्बा सफ़र के इजाजत ना देत रहे , अइसे में का कर सकत रहली, माया | दिनेश के घुटना में हमेशा दरद रहत रहे अईसे में उनका के घरे जाए के कहतो में माया डेरात रही | एही कोरोना के चक्कर में तीन चार को घर के बियाह भी मिस हो गईल रहे बाकिर नेवता ऑनलाइन भेजा जाये | लेकिन एही बीच गाँव में इमरजेंसी आ गईल, माया के बडकी भाभी के मुअला के समाचार मिलल , अब दिनेश भी मना ना कईलन गाँव में एगो कहावत होला कि दूसरा के दुःख में ना अईब त तोहरा दुःख में भी केहू ना आई ऊपर से इहो बात बा की केहू के सुख में पहुँचs भा ना पहुँचs लेकिन दुःख में पहुँच जाए के चाही श्राद्ध बीत गइल| आ ट्रेन अब दू दिन बाद के रहे मने दू दिन गाँव में बितावे के रहे त माया के मन में आइल की काहे ना एह दू दिन के घूमे फिरे में बितावल जाय| दिनेश के सहमती पा के माया एकदम से खुश हो गइली उनका डर रहे कि दिनेश मना जन क देस | माया आपन बचपन के याद करत दिनेश के संगे नवकि बारी में चल गइली नवकि बारी आमन के बगीचा रहे हर पेड़ के कवनो ना कवनो नाव रहे पीठवा , मटहवा , केरवा वगैरह वगैरह| माया के मन ओह बगीचा में उछले लागल उ आपन बुढ़ापा भुला के दिनेश के लगली बतावे हई फेड बाबु जी लगवले रहें हई फेड हम आ भैया लगवले रहनी ... बाबा के लगावल फेड पिछला आन्ही में उखड गईल इतना कहत माया के आँख में लोर आ गईल माया आपन खेत से कचरी भी उखड़ली आ खाए लागली | एहीजा से माया दिनेश के पोखरा देने लेके चल दिहली एही पोखरा में माया नहात रहली जब उ जवान लइकी रहली मन त उनकर अबो करत रहे लेकिन अब उ समय कहाँ रह गईल रहे ना जोश ना जवानी न चुलबुलापन | एही से सटल शिव मंदिर में माया जल भी चढावल करत रहली दिनेश एह उत्साह के देख के मने मन खुश होत रहलन जाने केतना दिन बाद उदास रहे वाली आ घर के काम में मगन माया के खुश देखले रहलन | आ मजाक में कहलन की काहो करिहइया अब नईखे दुखात लेकिन आपन उत्साह में उ दिनेश के बात ना सुनली आ आपन धुन में बोलत गईली जानत बाड़s दिनेश एही शंकर भगवा न के किरिपा से तु हमार जिनगी में आइल रहलs हम जल चढ़ा के भोलेनाथ से इहे बिनती करत रही की हमार बियाह तोहरे जइसन दुलहा से होखे आ देखs तोहरा से नीमन बर के हो सकेला हमरा खातिर ... दिनेश भी मने मन सोचलन की माया से सुन्दर मेहरारू हमरा खातिर अउर केहू ना हो सकेला .. मन्दिर के सटले एगो चिलबिल के फेड रहे जवना से चिलबिल तोड़ के माया खात रही आ खात का रही जियान जादा करत रही एही उहा पेंच में कब दुपहरिया से सांझ हो गईल पते ना लागल दिनेश माया से कहलन की अब गधबेर हो गईल घरे चले के चाही, माया कहली की पता ना काहे हमार जाये के मन नईखे करत पोखर से चलत समय कबो चुलबुली लईकी रहल माया के टप टप लोर गिरे लागल अचानक से उ मंदिर ओरी मुडली आ शंकर भगवन ले बुदबुदा के का कहली पता ना चल पावल उ ओहिजिंग के माटी के कपारे लगा लिहली इ भाव में की शायद अब एह जनम में मुलाकात ना होई किरिन अब डूबे लागल रहे माया आ दिनेश जल्दी जल्दी खेत के मेड ध के चले लगलन जा एही बीच दिनेश के लगे एगो फ़ोन आइल आ उ धीरे धीरे बतियावत माया से पीछे हो गईलन अचानक से माया गिर गइली जब तक दिनेश उनका लगे पहुचलन तब तक माया के प्राण पखेरू उड़ गईल रहे दिनेश के अब धीरे धीरे समझ में आइल की माया शंकर भगवन ले का मंगली ह ... आ साथ ही इ सुकून भी जाए द जवना माटी में जनम लिहली उहे माटी में आज लिपट गईली अब दिनेश के आँख में झर झर लोर गिरे लागल आ जोर जोर से चिल्ला के कहलन अब एह जन्म में मुलाकात ना होई

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